Citizenship Amendment Act Notification: भारत सरकार ने एतिहासिक फैसला लेते हुए 11 मार्च को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू कर दिया है। इसको लेकर देशभर में चर्चा हो रही है और खबरों का बाजार भी गर्म है। कई लोग सीएए को जान रहे हैं और समझ रहे हैं तो बहुत से लोगों के मन में सीएए को लेकर कई प्रकार के सवाल भी पैदा हो रहे हैं।
इस कानून को लेकर लोगों के बीच कई भ्रम और भ्रांतियां भी फैलाए जाने की कोशिश की जा रही है। कई जगह सीएए का जमकर विरोध भी शुरू हो गया है। असदुद्दीन ओवैसी और ममता बनर्जी जैसे विपक्षी नेताओं ने भी चुनाव से पहले सीएए लागू करने को लेकर बीजेपी और मोदी सरकार पर हमला बोला है।
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Citizenship Amendment Act Notification
क्या है CAA?
सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के तहत भारत में रह रहे अवैध प्रवासी अब देश की नागरिता प्राप्त करने के पात्र होंगे। हालांकि इसको लेकर कई नियम है और सभी लोग भारत की नागरिता नहीं प्राप्त कर सकते। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले गैर मुसलमानों को ही भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी।
गैर मुसलमानों में 6 जातियों के लोगों को शामिल किया गया है, जिनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय के लोग शामिल है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में इन समुदाय के लोग अल्पसंख्यक में हैं। धर्म के आधार पर भेदभाव और अत्याचार के कारण ये लोग अपना देश छोड़कर भारत में शरण लिए हुए हैं।
कौन हैं अवैध प्रवासी?
नागरिकता के लिए वही लोग पात्र होंगे, जो 31 दिसंबर 2014 के दिन या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं। अवैध प्रवासी को भी सरकार ने परिभाषित किया है। जो लोग बिना वीजा या पासपोर्ट के गैर कानूनी तरीके से भारत में घुसे थे या भारत में तय अवधि से अधिक समय से रह रहे हैं, वो अब भारत की नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकते हैं। उन्हें अपने देश वापस जाने के लिए नहीं कहा जाएगा।
कैसे करें नागरिकता के लिए अप्लाई?
सीएए के लिए भारत सरकार ने एक पोर्टल बनाया है, जो बहुत जल्द लॉन्च कर दिया जाएगा। नागरिकता के लिए आवेदन की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन ही रहेगी। जो अवैध प्रवासी भारत की नागरिकता प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें पोर्टल पर जाकर ये बताना होगा कि किस वर्ष उन्होंने भारत में प्रवेश किया था। इसके अलावा अवैध प्रवासियों से अन्य कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। आवेदन के बाद भारत सरकार ये तय करेगी कि किसे नागरिकता दी जाएगी और किसे नहीं। फिलहाल अवैध प्रवासियों को भारत सरकार स्टे वीजा जारी करती है।
कब बना था ये कानून?
सीएए की चर्चा इन दिनों हो रही है, लेकिन ये कानून लगभग 4 साल पहले ही बन चुका है। सबसे पहले सरकार ने साल 2016 में लोकसभा में सीएए का प्रस्ताव पेश किया था। उस वर्ष इसे लोकसभा से मंजूरी मिल गई थी, लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने के कारण ये प्रस्ताव अटक गया था। 2019 आम चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने मैनिफेस्टो में सीएए लागू करने की बात रही थी।
उसी वर्ष दिसंबर में सीएए का प्रस्ताव लोकसभा और राज्यसभा में पारित हो गया था और जनवरी 2020 में प्रेजीडेंट ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए थे। कोविड-19 के कारण इस कानून को लागू करने में समय लग गया। कुछ समय पहले अमित शाह ने कहा था कि लोकसभा चुनाव से पहले वो सीएए लागू कर देंगे। अपना वादा पूरा करते हुए बीजेपी ने 11 मार्च को सीएए की नॉटिफिकेशन जारी कर दी है।
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क्यों हो रहा है विरोध?
सीएए को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध हो रहा है। कुछ लोग इसे मुसलमानों के साथ भेदभाव बता रहे हैं। वहीं कुछ लोगों के बीच ये भ्रम फैलाया जा रहा है कि इससे मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी। सरकार ने ये स्पष्ट कर दिया है कि सीएए से किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं जाएगी।
असम और बंगाल जैसे कुछ इलाकों में सीएए को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। हालांकि आपको बता दें कि सीएए कानून पूरे देश में लागू नहीं हो रहा है। नॉर्थ ईस्ट के कुछ राज्यों में इसे लागू नहीं किया जाएगा। अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा और असम के ट्राइबल स्टेट्स को सीएए से बाहर रखा गया है।