2019 में जब राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हुआ था, उसके कुछ ही समय बाद ममता बनर्जी ने एक भव्य मंदिर बनाने का ऐलान कर दिया था, Jagannath Mandir in Kolkata After Ram Mandir in Ayodhya

Jagannath Mandir in Kolkata After Ram Mandir in Ayodhya

Jagannath Mandir in Kolkata After Ram Mandir in Ayodhya: अभी तक अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा भी नहीं हुआ है और इसका उद्घाटन समारोह आयोजित किया जा रहा है। चारों प्रमुख शंकराचार्यों ने मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल होने से इनकार कर दिया है। वहीं दूसरी ओऱ राम मंदिर को टक्कर देने के लिए पश्चिम बंगाल में एक विशाल जगन्नाथ मंदिर का निर्माण किया जा रहा है और अप्रैल में ममता बनर्जी इस मंदिर का उद्घाटन कर सकती है।

ऐसे में कहा जा रहा है कि 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मंदिरों का उद्घाटन कर पार्टियां जनता को लुभाने की कोशिश कर रही है, जिससे कि उन्हें इलेक्शन में फायदा मिल सकते। 

यानि अब पॉलिटिकल पार्टियां चुनाव आने पर बड़े बड़े वादे नहीं करती, विकास की बाते करने की बजाय मंदिर बनवाने पर जोर दे रही है। साल 2019 में जब राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हुआ था, उसके कुछ ही समय बाद ममता बनर्जी ने एक भव्य मंदिर बनाने का ऐलान कर दिया था। हालांकि अभी तक पश्चिम बंगाल के निर्माणाधीन मंदिर ने बहुत ज्यादा सुर्खियां नहीं बटोरी है, लेकिन आने वाले दिनों में ममदा दीदी बड़ा खेला कर सकती है। आइये जानते है कि दोनों मंदिर क्यों खास है, इससे आम चुनाव पर क्या असर देखने को मिलेगा। 

Jagannath Mandir in Kolkata After Ram Mandir in Ayodhya

राम मंदिर के बारे में तो आप रोजाना समाचारों में देख ही रहे है। इस मंदिर की ऊंचाई 161 फीट है और इसमें कुल 1200 पिलर्स है। मंदिर को बनाने में 3000 करोड़ रुपए की लागत आई है। मंदिर के निर्माण में स्टील या लोहे का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया गया है। पत्थरों और ईंटों की मदद से ही पूरा मंदिर बनाया गया है।

मंदिर के पिलर्स और दीवारों पर की गई नक्काशी कमाल की है, जिन्हें कलाकारों ने अपने हाथों से उकेरा है। यह मंदिर इतना मजबूत है कि एक हजार सालों तक इसे कुछ नहीं होगा। रिक्टर स्केल 9-10 तक के भूकंप के झटके भी इस मंदिर को हिला नहीं पाएंगे। 

मंदिर में 2100 किलो का घंटा लगाया जाएगा। देश के अलग अलग कोनो से रामलला के लिए सामान आया है। वाराणसी के लकड़ी के खिलौने, गुजरात से 108 फीट की अगरबत्ती, हैदराबाद से चरण पादुका और करीब 2500 पवित्र नदियों और तालाबों का जल। लिस्ट और भी बहुत लंबी है।

राम मंदिर के आसपास हिंदी इंग्लिश सहित अन्य कई भाषाओं में साइन बोर्ड लगाए जाएंगे। जल्द ही अयोध्या में लग्जरी क्रूज की शुरुआत की जाएगी। एक शानदार थीम पार्क बनाया जाएगा और भगवान राम की 251 मीटर ऊंची मूर्ति भी लगाई जाएगी, जिसका काम शुरू हो चुका है। 

तैयार होने के बाद ये विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति होगी और सरदार पटेल की 181 मीटर ऊंची प्रतिमा का रिकॉर्ड भी तोड़ देगी। इस राम मंदिर के नीचे 2000 फीट की गहराई में एक टाइम कैप्सूल भी रखा गया है, जिसमें रामायण और मंदिर से जुड़ी जानकारी सहित कुछ अनमोल चीजे रखी है। इस टाइम कैप्सूल के जरिए हजारों साल बाद भी मंदिर के बारे में जानकारी मिल सकती है। 

वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदीनीपुर जिले के दीघा शहर में पूरी के जगन्नाथ मंदिर से प्रेरित एक विशाल मंदिर बनवाया जा रहा है। इस मंदिर के लिए सरकार ने 20 एकड़ जमीन अलॉट की है और करीब 150 करोड़ रुपए की सरकारी लागत से यह मंदिर बन रहा है। दीघा जगन्नाथ मंदिर को पूरी जगन्नाथ मंदिर की रेप्लिका बताया जा रहा है। मंदिर में भोग घर से लेकर पूजा स्थान और प्रसाद भंडार जैसी सभी चीजे होगी और ये मंदिर 65 मीटर ऊंचा होगा। 

यह मंदिर समुद्र तट पर बना हुआ है और ऐसी जगहों पर अक्सर तूफान आने का खतरा बना रहता है। लेकिन कोई भी साइक्लोन, तूफान या भूकंप से इस मंदिर का कुछ नहीं बिगड़ेगा। मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ सुभद्रा देवी और बलराम की मूर्ति भी स्थापित की जाएगी। इस मंदिर के बनने से ना सिर्फ टूरिस्ट्स में इजाफा होगा, बल्कि बंगाल की इकोनॉमी को भी मजबूती मिलेगी।

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आसपास हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। ममता बनर्जी चुनाव से ठीक पहले अप्रैल में इस मंदिर का भव्य उद्घाटन समारोह आयोजित करना चाहती है, जिससे कि वो हिंदुओं को लुभा सके। 

ममता बनर्जी पर अक्सर हिंदू विरोधी और अल्पसंख्यको को बढ़ावा देने के आरोप लगते आए हैं, लेकिन उनका यह नया मंदिर तुरूप का इक्का साबित हो सकता है। वह बार-बार खुद को धर्म निर्पेक्ष बताने की कोशिश कर रही है, फिर बात चाहे छठ पूजा पर छुट्टी घोषित करने की हो या फिर दुर्गा पूजा कमेटियों का अनुदान बढ़ाना हो। पश्चिम बंगाल में 70 प्रतिशत आबादी हिंदुओं की है। ऐसे में हिंदुओं को नाराज कर ममता जीत दर्ज नहीं कर सकती।

पहले ममता आसानी से पूरे बंगाल में जीत दर्ज कर लिया करती थी, लेकिन पिछले कुछ समय से बीजेपी और तृणमूल कॉंग्रेस में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। इस साल लोकसभा चुनाव में भी दोनों पार्टियों राज्य की 42 सीटें जीतने के लिए अपनी पूरी जान लगा देगी। 

एक और जहां देश की जनता राम मंदिर के मुददे को लेकर पीएम मोदी और भारतीय जनता पार्टी को सपोर्ट कर रही है, तो वहीं दूसरी ओऱ जनता की ओर से ममता बनर्जी को आलोचना का सामना भी करना पड़ रहा है। बंगाल में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी पर आरोप लगाए थे कि वो टेक्सपेयर्स का पैसा मंदिर बनाने में इस्तेमाल कर रही है, जो संविधान के खिलाफ है।

इस पर जब टीएमसी के नेता ने राम मंदिर की बात छेड़ी तो उन्हें याद दिलाया गया कि राम मंदिर के निर्माण में यूपी सरकार या केंद्र सरकार ने पैसा नहीं दिया है। बल्कि दुनिया के कोने कोने में रह रहे हिंदुओं ने मंदिर निर्माण के लिए रामलला जन्मभूमि ट्रस्ट में पैसा जमा करवाया। 

दीघा जगन्नाथ धाम का निर्माण सिर्फ हिंदुओं को लुभाने के लिए किया जा रहा है, इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता। हालांकि अंदर खाने हर कोई ये बात भी अच्छी तरह जानता है कि राम मंदिर का निर्माण पूरा होने से पहले मंदिर का उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन का उद्देश्य भी वोट बैंक को आकर्षित करना है, लेकिन खुलकर लोग ये बात नहीं बोल रहे हैं, क्योंकि किसी ने ऐसा कहा तो यकीनन वह जनता के निशाने पर आ जाएगा और उसके माथे पर हिंदू विरोधी तमगा चिपका दिया जाएगा। 

आपको क्या लगता है, क्या 2024 लोकसभा चुनाव में मंदिर बनाने की राजनीति काम आएगी? क्या विकास की बजाय लोगों का ध्यान अब मंदिर मस्जिदों की ओर जा रहा है? राम मंदिर से बीजेपी को और जगन्नाथ धाम मंदिर से टीएमसी को कितना फायदा मिलेगा? इस बारे में अपने विचार हमारे साथ जरूर शेयर करें।

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